कई विशेषज्ञ यह महत्वपूर्ण सवाल उठा रहे हैं कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वास्तव में उस टैरिफ बदलाव (शुल्क पुनर्गठन) की जटिलता को समझते हैं, जिसकी उन्होंने शुरुआत की है। वे जानना चाहते हैं कि क्या ट्रंप यह समझते हैं कि उन्होंने वैश्विक टैरिफ युद्ध में उतरकर कितना जोखिम भरा रास्ता चुना है। Wolfe Research के विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप यह जांचना चाहते हैं कि वे अपने आक्रामक टैरिफ एजेंडे को कितनी दूर तक ले जा सकते हैं, इससे पहले कि बाज़ार में फिर से उथल-पुथल शुरू हो जाए।
Wolfe Research ने टिप्पणी की, “अब जबकि टैरिफ को पहले की तुलना में कहीं अधिक सहन किया जा रहा है, हम मानते हैं कि ट्रंप एक बार फिर यह परखने की तैयारी में हैं कि वे कितनी दूर जा सकते हैं।”
विश्लेषकों का मानना है कि व्हाइट हाउस यह पहचानने की कोशिश कर रहा है कि “वो अधिकतम टैरिफ स्तर क्या है जिसे बाज़ार और अर्थव्यवस्था सहन कर सकते हैं,” और साथ ही वह बातचीत के लिए दरवाज़ा भी खुला रख रहा है। वे चेतावनी देते हैं कि ट्रंप के लक्ष्यों को लेकर उनकी बातों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, भले ही उनकी बयानबाज़ी समय के साथ नरम पड़ जाए।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने व्यापार अभियान को तेज़ करते हुए दुनिया के नेताओं को औपचारिक पत्र भेजे हैं, जिनमें यह चेतावनी दी गई है कि अगर व्हाइट हाउस के साथ नए समझौते नहीं होते, तो 1 अगस्त से टैरिफ बढ़ा दिए जाएंगे।
ये ताज़ा कदम इक्विटी और बॉन्ड बाज़ारों में हालिया अस्थिरता के बाद उठाए गए हैं। इसी तरह की प्रतिक्रिया अप्रैल की शुरुआत में भी देखी गई थी, जब "लिबरेशन डे" की घोषणा की गई थी। हालांकि बाद में ट्रंप ने उन टैरिफ की समयसीमा को 90 दिनों के लिए टाल दिया था ताकि वे कई द्विपक्षीय व्यापार समझौते कर सकें।
अब तक केवल कुछ प्रारंभिक समझौते ही हुए हैं, जिनमें यूनाइटेड किंगडम, चीन और वियतनाम शामिल हैं।
बाज़ार अब ट्रंप की टैरिफ चालों पर पहले की तुलना में शांत प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ निवेशक तो अमेरिकी राष्ट्रपति को अब पहले से ज़्यादा लचीला मान रहे हैं।
हालांकि Wolfe Research के मुद्रा रणनीतिकार (करेंसी स्ट्रैटजिस्ट्स) इन टैरिफ देरी को "नीतिगत बदलाव" नहीं, बल्कि "असहनीय परिणामों" के चलते की गई "रणनीतिक पीछे हटने की चाल" मानते हैं।
यदि घोषित टैरिफ 1 अगस्त से लागू हो जाते हैं, तो कुल शुल्क $138 बिलियन तक पहुँच सकते हैं। और अगर व्हाइट हाउस कुछ देशों के लिए बेसलाइन टैरिफ दरें 15% से 20% तक बढ़ाता है, तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है। विश्लेषकों के अनुसार, बहुत कुछ बाज़ार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा। Wolfe Research ने निष्कर्ष निकाला, “हमें नहीं लगता कि ट्रंप अप्रैल की शुरुआत जैसी एक और गिरावट सहन करेंगे, लेकिन वे बाज़ार के सर्वकालिक उच्च स्तर से थोड़ी गिरावट बर्दाश्त कर सकते हैं।”
*The market analysis posted here is meant to increase your awareness, but not to give instructions to make a trade.
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